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Showing posts from September, 2015

बिहार चुनाव:

बिहार - इलेक्शन फार्मूला : दलित (मांझी) - मुस्लमान (ओवैसी) जब दोनों मिल कर वोट कटेगें, तभी तो बीजेपी जीतेगी... बीजेपी द्वारा बिहार के अगले मुख्यमंत्री पर, पार्टी में अभी मंथन जारी है ... आगे आगे देखो, होता है क्या-क्या...                                                         (c) ज़फ़र कि ख़बर 

बिहार चुनाव:

लो जी लो उलटी गिनती शरू… नमो और बीजेपी के लिए चिंता/चिंतन का विषय… वहां के हालात कुछ दिल्ली जैसे ही नज़र आ रहे हैं… चुनाव  के  इस  माहौल में, सब यही कह रहे है: किया क्या है बीजेपी ने – सत्ता मे आने के बाद,  … (c) ज़फ़र की ख़बर

Ram Mandir Nirman reg.

Fact Finding in reference to the political posts on social media these days, concerning Ayodhya - Ram Mandir Nirman : Most of the people dosn't know that there in no evidence which convince the court for the final verdict in reference of the construction of said mandir at the claimed place and without the court verdict, nothing is possible.   Please understand the fact that it is just a political agenda now, to gain vote every time by spreading emotional statements in public, in the name of Hindutava.                                                                      (c) ज़फ़र की ख़बर 

सच्चाई से मुहं क्यों मोड़ना...

बहस कोई भी चल रही हो - सिक्के के दोनों पहलु को देखना चाहिए.. मेरी नज़र में औरंगजेब और अशोक दोनों मे कोई फर्क नहीं है... जहाँ औरंगजेब ने लाखों ग़ैर मुस्लिम इंसान से तलवार के नोक पर इस्लाम कबूल करवाया, वही अशोक ने लाखों इंसानों को बिना किसी गुनाह के मरवा दिया.. सोंचो क्या फर्क है दोनों में - कोई फर्क नहीं क्युकि मरा तो इंसान ही दोनों दौर मे. इतिहास के पन्नों पर हमने तो यह पाया कि अशोक ज्यादा पापी है क्युकि उसने जान ली सबकी पर औरेंग्ज़ेब ने सब की जान नहीं ली, उसने धर्म परिवर्तन करवाया, जो सब करवाते है. क्या आज के दौर मे "घर वापसी" का आह्वान नहीं हो रहा या अनेको धर्म प्रचारको द्वारा अनेक प्रकार के लालच देकर देश के अलग अलग जगह पर लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करवाया जा रहा. जागो दोस्तों - सच्चाई से मुह मत मोड़ो - इतिहास के पन्नो को पढो - फिर राए बनाओ, न की पॉलिटिक्स की नज़र से. आदीकाल से जो भी हमारे देश का इतिहास रहा है - सजो कर रखो - क्योंकि जिस भी देश ने अपने इतिहास को नहीं सजोया - उनपर किसी न किसी दूसरों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है. समय इसका गवाह है. संवारो खुद को और अपनी आने वाली

ज़फ़र कहिन...

मेरा सोचना ऐसा लगता है , आप लोगों के सोच से ज़रूर मेल खायेगा... सवाल है? आज का दौर और इस दौर में पत्रकारिता का बदलता चेहरा...  जो सब कुछ जनता है... समझता है... पर इस सब के बावजूद सच्चाई न बता कर ऐसी चीज़े परोस्ता है, जिसका सरोकार न तो समाज को और न आने वाली नई पीढ़ी को भविष्य और भूतकाल के बारे सच्चाई से अवगत करना है.   जिसका जो मन करता है अपना नजरिया दर्शाता है, जिससे सिर्फ और सिर्फ अपना फायदा हो सके. आज के इस बदगुमान दौर में कम से कम किसी एक ऐसे पत्रकार या समाचार देने वाले की ज़रुरत है जो कम से कम आज कल की नयी और आने वाली पीढ़ी को सच बता सके और उनका मार्गदर्शन कर सके, जिससे इनका भटकाव ख़त्म न सही - कम तो हो.   मेरा मनना है कि जिस भी देश ने अपने इतिहास को तथा भूतकाल को भुला दिया वो आने वाले समय में बहुत जल्द अपना अस्तित्व खो देता है और स्वार्थी लोग जिसमें नेता , पूंजीपति आदि आते है , अपने स्वार्थ के चलते देश , समाज , परिवार आदि सब की बलि चढ़ा देते हैं. इन सब बातों को बहुत ही गंभीरता से सोचने और समझने के बाद मैंने ये प्रण लिया है कि नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए - सच को सच ही रहना