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उत्तर प्रदेश चुनाव...

अगर प्रदेश का चुनाव "विकास" के नाम पर लड़ा गया तो
फिर से आएगी सपा सरकार...
क्योंकि
विकास के नाम पर औरों को कुछ नहीं मिलने वाला,
इस प्रदेश में... 
क्युकि भाजपा खुद ही अब कांग्रेस युक्त हो गई है.
सत्ता के खेल में सब "जायज़" होता है,
याद रहे
कि जनता सब जानती है जी... 
                          (c) zafar ki khabar

Comments

  1. ये भी चिंतन का विषय है कि
    सबका साथ...(यु० पी० में तो नहीं दिखता)
    सबका विकास... (कैसे हो पायेगा)

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देश और हम

मीडिया मज़े ले रहा है और देश बदनाम हो रहा है... सरकार और हम दोनों यह समझ नहीं पा रहे है... (C) zafarkikhabar

उत्तर प्रदेश चुनाव २०१७

कुछ तारो ताज़ी हलचल, सुनगुन और हालात पर नज़र डालने के बाद आज मैं इस मुक़ाम पर पंहुचा हूँ की अगला चुनाव उत्तर प्रदेश के इतिहास में कुछ नया ही मोड़ लाने वाला है. सुन कर आप को भी यकीन नहीं आएगा पर क्या करूँ सच तो सच ही है और मुझे सच कहने की आदत जो है तो कहूँगा ही. आगामी २०१७ के चुनाव में प्रदेश के सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी "समाजवादी पार्टी" इस बार चुनाव "भारतीय जनता पार्टी" के साथ लड़ेगी. अभी यह सुन कर कुछ अटपटा सा लगेगा, पर यही सच्चाई है. इस पर अभी बहुत कुछ होना बाकी है... आगे आगे देखिये होता है क्या... सच कहता हूँ - सारे समीकरण बदल जायेंगे. और यह अपना काम कर जायेंगे. क्योंकि दोनों पार्टी का एक ही मुद्दा है सिर्फ और सिर्फ सरकार में बने रहना...                                                         (c) ज़फ़र की ख़बर 

सच्चाई से मुहं क्यों मोड़ना...

बहस कोई भी चल रही हो - सिक्के के दोनों पहलु को देखना चाहिए.. मेरी नज़र में औरंगजेब और अशोक दोनों मे कोई फर्क नहीं है... जहाँ औरंगजेब ने लाखों ग़ैर मुस्लिम इंसान से तलवार के नोक पर इस्लाम कबूल करवाया, वही अशोक ने लाखों इंसानों को बिना किसी गुनाह के मरवा दिया.. सोंचो क्या फर्क है दोनों में - कोई फर्क नहीं क्युकि मरा तो इंसान ही दोनों दौर मे. इतिहास के पन्नों पर हमने तो यह पाया कि अशोक ज्यादा पापी है क्युकि उसने जान ली सबकी पर औरेंग्ज़ेब ने सब की जान नहीं ली, उसने धर्म परिवर्तन करवाया, जो सब करवाते है. क्या आज के दौर मे "घर वापसी" का आह्वान नहीं हो रहा या अनेको धर्म प्रचारको द्वारा अनेक प्रकार के लालच देकर देश के अलग अलग जगह पर लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करवाया जा रहा. जागो दोस्तों - सच्चाई से मुह मत मोड़ो - इतिहास के पन्नो को पढो - फिर राए बनाओ, न की पॉलिटिक्स की नज़र से. आदीकाल से जो भी हमारे देश का इतिहास रहा है - सजो कर रखो - क्योंकि जिस भी देश ने अपने इतिहास को नहीं सजोया - उनपर किसी न किसी दूसरों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है. समय इसका गवाह है. संवारो खुद को और अपनी आने वाली...