समय के साथ बदलाव ज़रूरी है और बदलाव पर चर्चा भी. क्योंकि सब जानते है बदलाव प्रकृति का नियम भी है - इतिहास गवाह है जिस भी सभ्यता ने अपने को समय के साथ नहीं बदला वो लुप्त हो गई. हम न बदले तो हमारा भी यही हाल होगा. यहाँ यह भी कहना ज़रूरी है कि लुप्त होने वाली सभ्यता किसी भी मामले में हम से कम विकसित नहीं थी. चाहे वो सभ्यता हड़प्पा, मोहन्जोद्रो, मेसोपोटामिया या फिर मिस्र... यह एक गहन चिंतन का विषय है... (c) ज़फ़र की ख़बर