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Showing posts from December, 2016

Obey the Master...

It is enough now... everyone putting his / her finger on the supreme body of the country without knowing the fact that why such thing happens in the country, try to understand. I am writing this below to give you all an idea and fully understand that you all are capable to find out the details about it: We are only puppets, our strings are being pulled by a force, which is not even known to, most of us. Obey the Master, at any cost. Who is the Master??? No one, even care to know this. It is Surprising, but Fact. Explore it - if you can... (c) zafar ki khabar

Bla, bla, bla on FB / WhatsApp...

वो बातें जिसका मतलब कुछ नहीं निकलता पर होती और की जाती हैं उन बातों को "औरतों" की बातें कहा जाता है - यह सब को पता है और जग ज़ाहिर भी है, किसी को इस पर शक नहीं होना चाहिए... और आज हमारा FB / WhatsApp पर यही हाल हो गया है - हम सब ना चाह कर भी "अमुक बातों" का हिस्सा हो गए है, जिसकी खिल्ली हमारे पूर्वज उड़ाया करते थे... आज हम FB पर आते हैं bla, bla, करते है और खुश हो जाते हैं - क्योंकि: हम कुछ करने लायक़ बचे / रहे ही नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे पुराने वक़्त में घर की house wife हुआ करती थीं... सब कुछ जानते हुए भी उनका समाज तथा इसके बदलाव में कोई हस्तछेप नहीं होता था... मैने ऊपर जो लिखा है - पढने में शायद अटपटा सा लगे - पर है चिंतन का विषय - इसे एक बार और पढे और सोंचे... ये क्या कर रहे है हम सब लोग... ? नोट: "औरतों" और "house wife" जैसे शब्दों को प्रयोग तथ्य को समझाने हेतु केवल उदधारण के रूम में किया गया है, - कृप्या कोई इसे personal ना ले... धन्यवाद! (c) zafar ki khabar

कालाधन से कैशलेस तक

जिन्हे मेरी पोस्ट से ऐसा लगता है कि मैं अमुक के विषय में सदा against में लिखता हूँ| ज़रा बताएं की क्या गलत लिखता हूँ? अब देखिए "जनता" कितनी जल्दी "भूल" जाती है या ये कहें कि "बरगला" दी जाती है: याद दिला रहा हूँ कि बात "कैशलेस" की नहीं, "कालाधन" ख़त्म करने की हुई थी। सबको याद है ना कि यही कहा था? ठीक है वादा पूरा मत करो - पर मुद्दों से तो मत बहकाओ... जय हिन्द. (c) ज़फर की ख़बर

जयललिता को दफनाया क्यों?

जयललिता को दफनाया क्यों? आज यह सवाल बहुतों के दिमाग में है यह अवगत हो कि धर्म से इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि जलाने ,दफ़नाने, खुला छोड़ देने की परम्पराये दुनिया में geographic impact का नतीजा है - ना की किसी धर्म का कर्म. इस मामले में ज्ञान वर्धन की ज़रूरत हैें. क्योंकि religion जब भी - जहाँ भी पनपा है उस पर भूगोल का असर रहा है - धर्म में भौतिक उपलब्धि के आधार पर ही चीजें incorporate की गई है. अभी इतना ही - बाकी का ज्ञान फिर कभी... (c) ज़फर की खबर