बहस कोई भी चल रही हो - सिक्के के दोनों पहलु को देखना चाहिए.. मेरी नज़र में औरंगजेब और अशोक दोनों मे कोई फर्क नहीं है... जहाँ औरंगजेब ने लाखों ग़ैर मुस्लिम इंसान से तलवार के नोक पर इस्लाम कबूल करवाया, वही अशोक ने लाखों इंसानों को बिना किसी गुनाह के मरवा दिया.. सोंचो क्या फर्क है दोनों में - कोई फर्क नहीं क्युकि मरा तो इंसान ही दोनों दौर मे. इतिहास के पन्नों पर हमने तो यह पाया कि अशोक ज्यादा पापी है क्युकि उसने जान ली सबकी पर औरेंग्ज़ेब ने सब की जान नहीं ली, उसने धर्म परिवर्तन करवाया, जो सब करवाते है. क्या आज के दौर मे "घर वापसी" का आह्वान नहीं हो रहा या अनेको धर्म प्रचारको द्वारा अनेक प्रकार के लालच देकर देश के अलग अलग जगह पर लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करवाया जा रहा. जागो दोस्तों - सच्चाई से मुह मत मोड़ो - इतिहास के पन्नो को पढो - फिर राए बनाओ, न की पॉलिटिक्स की नज़र से. आदीकाल से जो भी हमारे देश का इतिहास रहा है - सजो कर रखो - क्योंकि जिस भी देश ने अपने इतिहास को नहीं सजोया - उनपर किसी न किसी दूसरों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है. समय इसका गवाह है. संवारो खुद को और अपनी आने वाली...
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