वो बातें जिसका मतलब कुछ नहीं निकलता पर होती और की जाती हैं उन बातों को "औरतों" की बातें कहा जाता है - यह सब को पता है और जग ज़ाहिर भी है, किसी को इस पर शक नहीं होना चाहिए...
और आज हमारा FB / WhatsApp पर यही हाल हो गया है - हम सब ना चाह कर भी "अमुक बातों" का हिस्सा हो गए है, जिसकी खिल्ली हमारे पूर्वज उड़ाया करते थे... आज हम FB पर आते हैं bla, bla, करते है और खुश हो जाते हैं - क्योंकि:
हम कुछ करने लायक़ बचे / रहे ही नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे पुराने वक़्त में घर की house wife हुआ करती थीं... सब कुछ जानते हुए भी उनका समाज तथा इसके बदलाव में कोई हस्तछेप नहीं होता था...
और आज हमारा FB / WhatsApp पर यही हाल हो गया है - हम सब ना चाह कर भी "अमुक बातों" का हिस्सा हो गए है, जिसकी खिल्ली हमारे पूर्वज उड़ाया करते थे... आज हम FB पर आते हैं bla, bla, करते है और खुश हो जाते हैं - क्योंकि:
हम कुछ करने लायक़ बचे / रहे ही नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे पुराने वक़्त में घर की house wife हुआ करती थीं... सब कुछ जानते हुए भी उनका समाज तथा इसके बदलाव में कोई हस्तछेप नहीं होता था...
मैने ऊपर जो लिखा है - पढने में शायद अटपटा सा लगे - पर है चिंतन का विषय - इसे एक बार और पढे और सोंचे... ये क्या कर रहे है हम सब लोग... ?
नोट: "औरतों" और "house wife" जैसे शब्दों को प्रयोग तथ्य को समझाने हेतु केवल उदधारण के रूम में किया गया है, - कृप्या कोई इसे personal ना ले... धन्यवाद!
(c) zafar ki khabar
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