Skip to main content

इस्लाम आतंकवाद नहीं सिखाता

यह मुद्दा सच है और  सोचने वाला भी कि "अगर इस्लाम आतंकवाद सिखातातो संसार में उपलब्ध अरबों की संख्या में मौजूद मुस्लमान दुनियाँ का क्या हाल कर देते, इसे आसानी से समझा जा सकता है..." आज दुनिया में आतंकवाद से सब से ज्यादा कोई प्रभावित है तो वह है मुस्लमान. आंतकवाद को बढ़ावा दिया ही इसी वजह से गया है की संसार में एकजुटता न आये और अग्रिम देशों का वर्चस्व क़ायम रहे....     

सब जानते है कि आतंकी का कोई धर्म नहीं होता, यह आतंकी सदा ही सत्तारूढ़ लोगो के इशारे पर ही अपनी कारस्तानी किया करते क्यों की सत्तारूढ़ पार्टी अपना वर्चस्व कायम रख़ने की खातिर ऐसा कराती है... फिर भी बे-मतलब के बातों मे फँस कर हम धरातल पर जो सवाल हैउसको भूल गए हैं और इन बेमानी बातों में अपना समय खराब कर रहे है.

अब आप खुद सोंचे कि मौजूदा सरकार जिस मुददे को ले कर सत्ता में आई थीवह था विकास जो न जाने कहा खो गया है, जनता इनसे यह न पूछ ले कि कहाँ है विकास इस लिये तरह तरह का बेमानी मुद्दा उठाया जा रहा है, जिससे हम भटक जाये और इनसे यह पूछना भूल जाए.

अगर ध्यान से अध्ययन किया जाये तो यह समझ में आ जाएगा है कि यह सब सोंची समझी साजिश है हमे मुद्दे से भटकाने के लिए. उनका मुद्दा सर्वोपरि है कि उनकी सरकार चलती रहे और जनता त्राहि त्राहि करती रहे.

                             (c) ज़फ़र की ख़बर 

Comments

Popular posts from this blog

देश और हम

मीडिया मज़े ले रहा है और देश बदनाम हो रहा है... सरकार और हम दोनों यह समझ नहीं पा रहे है... (C) zafarkikhabar

उत्तर प्रदेश चुनाव २०१७

कुछ तारो ताज़ी हलचल, सुनगुन और हालात पर नज़र डालने के बाद आज मैं इस मुक़ाम पर पंहुचा हूँ की अगला चुनाव उत्तर प्रदेश के इतिहास में कुछ नया ही मोड़ लाने वाला है. सुन कर आप को भी यकीन नहीं आएगा पर क्या करूँ सच तो सच ही है और मुझे सच कहने की आदत जो है तो कहूँगा ही. आगामी २०१७ के चुनाव में प्रदेश के सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी "समाजवादी पार्टी" इस बार चुनाव "भारतीय जनता पार्टी" के साथ लड़ेगी. अभी यह सुन कर कुछ अटपटा सा लगेगा, पर यही सच्चाई है. इस पर अभी बहुत कुछ होना बाकी है... आगे आगे देखिये होता है क्या... सच कहता हूँ - सारे समीकरण बदल जायेंगे. और यह अपना काम कर जायेंगे. क्योंकि दोनों पार्टी का एक ही मुद्दा है सिर्फ और सिर्फ सरकार में बने रहना...                                                         (c) ज़फ़र की ख़बर 

सच्चाई से मुहं क्यों मोड़ना...

बहस कोई भी चल रही हो - सिक्के के दोनों पहलु को देखना चाहिए.. मेरी नज़र में औरंगजेब और अशोक दोनों मे कोई फर्क नहीं है... जहाँ औरंगजेब ने लाखों ग़ैर मुस्लिम इंसान से तलवार के नोक पर इस्लाम कबूल करवाया, वही अशोक ने लाखों इंसानों को बिना किसी गुनाह के मरवा दिया.. सोंचो क्या फर्क है दोनों में - कोई फर्क नहीं क्युकि मरा तो इंसान ही दोनों दौर मे. इतिहास के पन्नों पर हमने तो यह पाया कि अशोक ज्यादा पापी है क्युकि उसने जान ली सबकी पर औरेंग्ज़ेब ने सब की जान नहीं ली, उसने धर्म परिवर्तन करवाया, जो सब करवाते है. क्या आज के दौर मे "घर वापसी" का आह्वान नहीं हो रहा या अनेको धर्म प्रचारको द्वारा अनेक प्रकार के लालच देकर देश के अलग अलग जगह पर लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करवाया जा रहा. जागो दोस्तों - सच्चाई से मुह मत मोड़ो - इतिहास के पन्नो को पढो - फिर राए बनाओ, न की पॉलिटिक्स की नज़र से. आदीकाल से जो भी हमारे देश का इतिहास रहा है - सजो कर रखो - क्योंकि जिस भी देश ने अपने इतिहास को नहीं सजोया - उनपर किसी न किसी दूसरों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है. समय इसका गवाह है. संवारो खुद को और अपनी आने वाली...