इस देश में अवार्ड (National Awards) चाहे किसी को भी, कभी भी मिला हो, उसके पीछे राजनैतिक जुड़ाव और चापलूसी का बोलबाला सदा ही रहा है, वरना यहाँ न जाने कितने ऐसे लोग पड़े है जिनकी सारी उम्र निकल गई और एक धेला तक हाथ न लगा, अवार्ड तो दूर की बात है.
पता है आप सभी, मेरी इस बात से सहमत होंगे, फिर भी पता नहीं क्यों, इन सब बातों को जानने के बावजूद, हम सब तरह-तरह की बातें करके अपना समय खराब करते है - सच्चाई जो है वह चाह कर भी नहीं बदली जा सकती. जिसकी सरकार होती है, उसी का वर्चस्व होता है, सदा ही और एक जो सरकार में है, दूसरों को बुरा कहता है.
सब जानते है, आम ज़िन्दगी की कभी भी दूर दूर तक राजनीती से करीबी नहीं रही, फिर भी क्यों समय खराब करते है हम सब. सच्चाई तो यह है कि बस वोट के समय ही हमारी पूछ होती है - फिर वो राजा और हम सदा की तरह भिखारी. समझो और संभलो भाइयों.
(c) ज़फ़र की ख़बर
पता है आप सभी, मेरी इस बात से सहमत होंगे, फिर भी पता नहीं क्यों, इन सब बातों को जानने के बावजूद, हम सब तरह-तरह की बातें करके अपना समय खराब करते है - सच्चाई जो है वह चाह कर भी नहीं बदली जा सकती. जिसकी सरकार होती है, उसी का वर्चस्व होता है, सदा ही और एक जो सरकार में है, दूसरों को बुरा कहता है.
सब जानते है, आम ज़िन्दगी की कभी भी दूर दूर तक राजनीती से करीबी नहीं रही, फिर भी क्यों समय खराब करते है हम सब. सच्चाई तो यह है कि बस वोट के समय ही हमारी पूछ होती है - फिर वो राजा और हम सदा की तरह भिखारी. समझो और संभलो भाइयों.
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