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नमो का टूटता तिलिस्म

नमो आप क्यों चुप लगाये बैठे हो, मुझे अब आपका तिलिस्म टूटता नज़र आ रहा है... आपकी इस चुप्पी से आपके अपने ही बकर, बकर कर के आपकी बची खुची साख को भी मिट्टी में मिलने मे लगे है. सच कहू, बर्बाद कर दिया वो सब, जो भी आप को मिला था देशवासिओं से - प्रेम, सम्मान आदि आदि... क्योंकि अब बची खुची उम्मीद टूट गई सब की, जो थी आप से. 

मह्गाई तो आसमान छु ही रही है और आप जनता से सब्सिडी छोड़ने की बात करते हो, अफ़सोस होता है यह सोंच कर कि यही बात आप अपने मंत्रियों से क्यों नहीं कहते एवं सभी सरकारी कैंटीन को पहले सब्सिडी मुक्त क्यों नहीं करते. देश का बजट, जो सेना को देने के बाद बचता है, उसका ज्यादा हिस्सा सरकारी तंत्र को चलाने मे ही खर्च हो जाता है, जबकि यह खर्च कम भी किया जा सकता है. रही देश चलाने की बात, कोई नहीं चला रहा देश को, वह तो ऑटो मोड मे है, यह खुद चल रहा है. आप तो बस पार्टी के कामों मे ही लगे हो, अगर धरातल पर काम किया होता तो पार्टी की तो यूँ ही बल्ले बल्ले होती. झूट का सहारा नहीं लेना पड़ता, जो अब लेना पड़ रहा है.

जनता त्राहि त्राहि कर रही है, जनता को सुनने वाला कोई है ही नहीं. कहाँ अलग हो आप, औरों से? आप भी औरों से ही हो. करो कुछ कि धरातल पर कुछ दिखे, नहीं तो आगे क्या होगा, आप खुद समझदार हैं... 

दिल्ली तो खों ही दी और अब लगें है बिहार बचाने मे. अगर कुछ काम कर देते तो इतनी मशक्कत न करनी पड़ती. पब्लिक आप की बातों को अब सिर्फ और सिर्फ "जुमला" समझती है, यह आप के लिए खतरे की घंटी है...  

                                                   (c) ज़फ़र की ख़बर          
   

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