देश में टी०बी० के मरीज़ की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू० एच्० ओ०) के अनुसार भारत में पिछले साल
तदेपिक यानी टी०बी० के सबसे ज्यादा
मामले दर्ज किए गए हैं। डब्लू० एच्० ओ० की एक रिपोर्ट यह बताती है कि सन् 2014 में देश में इस बीमारी से 15,00,000 लोगों की मौत हुई
है। जिनमें 1،40,000 बच्चे शामिल थे।
विश्व
स्वास्थ्य संगठन की जारी हुई “वैश्विक तदेपिक
रिपोर्ट 2015” के मुताबिक, 2014 में टी०बी० के 96 लाख नए मामले दर्ज
किए गए, जिनमें से 58 फीसदी मामले
दक्षिण-पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र से थे। वैश्विक स्तर पर 2014 में कुल सामने आए मामलों में, भारत, इंडोनेशिया और चीन में टी०बी० के सबसे ज्यादा मामले सामने आए जो कि क्रमश: 23 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 10 प्रतिशत हैं। पिछले साल नाइजीरिया, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी टी०बी० के मामलों की संख्या ज्यादा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि
इनमें अधिकतर मौतों को रोका जा सकता था।
दुनिया में जानलेवा बीमारियों में एच्० आई० वी० के साथ इस रोग का
भी नंबर आता है। भारत और नाइजीरिया में टी०बी० से होने वाली मौतें वैश्विक तौर पर इस बीमारी से होने वाली
मौतों का एक तिहाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू० एच्० ओ०) के एक साक्षात्कार में निदेशक डॉ. मारियो रविगिलोन ने कहा कि
रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले दशक में एड्स के उपचार में प्रभावशाली सुधार हुआ
है, जो की सन १९९० के मुकाबले आधा है और इस बीमारी से संक्रमित बहुत से लोगों को जीवित रहने में मदद
मिली है। हालांकि टी०बी० से मरने वालों की
संख्या में बहुत अधिक इजाफा हुआ है, जो चिंता का विषय है।
उपरोक्त के परिपेक्ष में यहाँ
यह कहना जरुरी है कि टी०बी० के इलाज मे
आई ढील के कारण ही इसके मरीजों की संख्या मे बढ़ोतरी आई है क्युकि सरकार द्वारा टी०बी०
से बचने के लिए किये जाने वाले प्रचार में कमी कर दी है इससे लोगों में इसके प्रति
जागरूकता की कमी आ गई। सरकारी अस्पतालों में इस रोग के दवाई उपलब्ध होने के बावजूद
मरीज़ो में जागरूकता की कमी के कारण अपना इलाज नहीं करवा पा रहा है। सरकार से
अनुरोध है कि वो इस बारे में जल्द से जल्द कदम उठाए, जिससे जनता फिर से जागरूक हो
और टी०बी० का इलाज करवाए तथा इस विषय पर हम सब को भी मिल इस ओर ध्यान देने की
ज़रूरत है।
(C) ज़फ़र की ख़बर
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