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Showing posts from 2015

बुलेट ट्रेन और हम....

1000 राजधानी सुपर फ़ास्ट ट्रेनों की बलि चड़ा कर आएगी - सिर्फ और सिर्फ एक बुलेट ट्रेन... वो भी सिर्फ मुंबई से अहमदाबाद को जोड़ेगी अपनी रफ़्तार से, और ... कर्ज़दार होगा पूरा का पूरा देश. बीबीसी ने भी ट्वीट किया है कि: "कोई तो इस सरकार को १ लाख करोड की फिजूलखर्ची से रोके" पर जिद है "कुछ भी करना पड़े" बुलेट ट्रेन तो आएगी ही... अरे और वादों की तरह इस जुमले को भी क्यों नहीं भुला देते, क्यों लगे हो जनता को और गर्त मे ले जाने पर....                              (c) ज़फ़र की ख़बर 

संस्कृतियों का संगम, भारत और धर्म आधारित राजनिती...

भारत जैसा देश , जो अनेक प्रकार की संस्कृति का संगम है , में धर्म के आधार पर राजनिती करने के कारण बीजेपी नुकसान ही उठा रही है, यह भूल कर कि सत्ता जो हासिल हुई थी वह ' विकास ' के नाम पर बदलाव की राजनीति के आधार पर हुई थी न की ' धर्म ' के नाम पर.  यह अब जग ज़ाहिर भी हो गया है , जिसका परिणाम गुजरात के चुनाव में भी दिखा है , जहाँ इनके द्वारा "कांग्रेस मुक्त भारत" के नारे को भी नाकारा गया है. गुजरात मॉडल का सच  भी,  अब बाहर आ रहा है , जनता इनको समझ रही है और अपना नजरिया दिखा रही है. सब से प्रमुख बात तो यह है कि बीजेपी, आज कल अंतर्कलह के दौर से गुज़र रही है. अंदर ही अंदर गुटबाजी भी हो गई है. एक धड़ा है जो सत्ता में अग्रिम दिखने वाले चेहरों को एक सिरे से नकार चूका है क्योंकि उसे भी नज़रअंदाज़ किया गया है अब तक. यहाँ यह बात भी गौर करने वाली है कि ये वह लोग है जिन्होने नमो को सत्ता में यहाँ तक पहुचाया. सब इस बात को ज़रूर मानते होंगे कि जो किसी को उरूज दे सकता है तो वह समय आने पर वहीं पंहुचा भी सकता है , जहाँ से लाया था. आम जनता ने नमो को १२ साल देने की बात सोंची थी ,

लालू जी यह क्या...

अरे, यह क्या किया... कहा गई लालू जी आपकी दूरंदेशी, फिर पड़ गए परिवार वाद में... आप ये क्यों नहीं सोंचते कि राष्ट्रीय तौर पर सत्ता का दूसरा विकल्प बनने के बीच आपकी यही सोंच रोड़ा बनेगी... औरों का क्या है - लौट जाएँगे अपने पुराने दोस्तों के साथ...                                (c) ज़फ़र की ख़बर

Headlines in Country's Print & Electronic Media

Topics presently running in the headlines of Country's Print, Electronic Media (NEWS) are only political stunts made by the ruling party just to divert the mind of public.  No One, Neither Muslims Nor Hindus or Other communities are suffering here in India these days. All propaganda between the public in the nation,  are intentionally created, so we should not asked any question to present Govt. that "Where is Development".  It is a strategically planned things, why don't we people take example from the recent past and have a look on market that this year it was TOOR DAL which burdened us a lot and the next is MUSTERED OIL as per the statement came out, well before by the concerned minister that growth of mustered is seems to be low in coming time.                     (c) Zafar Ki Khabar

इस्लाम आतंकवाद नहीं सिखाता

यह   मुद्दा सच है   और     सोचने वाला भी कि   " अगर इस्लाम आतंकवाद सिखाता ,  तो   संसार में उपलब्ध   अरबों की संख्या में मौजूद मुस्लमान दुनियाँ का क्या हाल कर देते , इसे आसानी से समझा जा सकता है..." आज दुनिया में  आतंकवाद से  सब से ज्यादा कोई प्रभावित है तो वह है मुस्लमान. आंतकवाद को बढ़ावा दिया ही इसी वजह से गया है की संसार में एकजुटता न आये और अग्रिम देशों का वर्चस्व क़ायम रहे....      सब जानते है कि आतंकी का कोई धर्म नहीं होता , यह आतंकी सदा ही सत्तारूढ़ लोगो के इशारे पर ही अपनी कारस्तानी किया करते क्यों की सत्तारूढ़ पार्टी अपना वर्चस्व कायम रख़ने की खातिर ऐसा कराती है... फिर भी बे-मतलब के बातों मे फँस कर हम धरातल पर जो सवाल है ,  उसको भूल गए हैं और इन बेमानी बातों में अपना समय खराब कर रहे है. अब आप खुद सोंचे कि मौजूदा सरकार   जिस मुददे को ले कर सत्ता में आई थी ,  वह था   “ विकास ”   जो न जाने कहा खो गया है , जनता इनसे यह न पूछ ले   कि कहाँ है   “ विकास ”   इस लिये तरह तरह का बेमानी मुद्दा उठाया जा रहा है , जिससे हम भटक जाये और इनसे   यह पूछना भूल जाए. अगर ध्यान स

शीतकालीन सत्र - त्राहि त्राहि की ओर बढ़ता एक और कदम

सब को पता चल ही  गया है कि अगले संसद का सत्र २३ नवम्बर २०१५ से चलेगा और इसमे भे पिछली बार जैसा हंगामा होना लाज़मी है|  इन्ही सब बातों को ध्यान मे रखते हुए स्पीकर सुमित्रा महाजन ने संसद सदस्यों के नाम एक  चिट्टठी लिखकर संसद की मर्यादा और आचरण की याद दिलाते हुए आग्रह किया है कि  26 नवंबर से शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र में  वो विरोध करें पर संसद की मर्यादा औऱ अनुशासन को ध्यान में रखते हुए ।   स्पीकर महोदया ने  साथ में यह भी कहा है की जीवन के हर पहलू में प्रत्‍येक व्‍यक्ति से शा‍लीनतापूर्ण और नैतिक आचरण की उम्मीद की जाती है और उन्हे आशा है कि सदस्‍यगण स्‍वीकार्य मर्यादा के अनुरूप आचरण करेंगे। अब देखना यह है कि क्या सांसद इनकी इन बातों का संज्ञान भी लेते है या नहीं?  जहाँ तक मेरा अनुमान है, यह सत्र भी केवल हम जनता के पैसे की बर्बादी ही साबित होगा और हम त्राहि त्राहि की ओर एक कदम और आगे बढ़ जायेंगे ।                                                     (c) ज़फ़र की ख़बर     

NaMo just for development, nothig else.

People of India given mandate to NaMo just for development, nothing else, for which he is totally failed.  Rest everything is normal in the country and each and every Govt. done the same at their tenure. Why? NaMo is giving these visits, a hype. It is just to divert the mind of publi c as nothing constructive is happening on ground level.  I have a question, why NaMo giving space to any one of his party member for doing bla bla things.  U ppl are requested to be here at my blog:  www.zafarkikhabar.blogspot.com  h ere you people always see the facts and my predictions, which are proved and going to be the same in future too. As I am not writing anything here with biased intention.                                                     (c) Zafar Ki Khabar

अंदरूनी कलह और बीजेपी

अगर नामों जल्दी न समझे तो बहूत देर हो जायेगी. क्यूकि मै पहले ही लिख चुका हूँ अमित शाह को लोग पसंद नही करते है जिसका असर बिहार मॆ सब को दिख चुका है.  अंदरूनी तौर पर बीजेपी के अंदर की कलह अब खुलकर सामने आ रही है, एक धढा है जो यही चाहता है और उसकी पकड़ भी है इस चुनावी इलाके मॆ मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष से ज्यादा है.   हमारी सोच तो यह कहती है कि "अमित शाह" तो गयो. इस विषय पर नामों का यह क़दम फायदेमंद भी होगा, आने वाले समय के लिए.  भाजपा को बचना है, तो सुधार तो करना ही पड़ेगा क्यूकि "नमो का त्लिस्म" अब टूट चुका है जनता इन्हे "फेकू" के नाम से सम्बोधित करने लगी है.  सम्भल जाओ कयूकि गया हूआ समय लौट कर नही आता.                                     (c) ज़फर की ख़बर

दिवाली मुबारक

                                            (c) ज़फ़र की ख़बर 

बसपा की सुगबुगाहट - उत्तर प्रदेश में.

सुन लो जी आप सब, एक बात और: बहनजी आ रही है २०१७ में उत्तर प्रदेश कि सत्ता पैर, अगर किया गया विकास निही दिखाया गया, तो बहुत मुश्किल हो जाएगी सपा के लीये...               (c) ज़फ़र कि ख़बर  

लो हो गई एक और हार, नमो की

नमो को सम्पूर्ण भारत में सिर्फ और सिर्फ विकास के मॉडल पर पसंद किया गया था और इसी कारण सम्पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ.  भारत कि सम्पूर्ण जनता ने गुजरात का विकास मॉडल देखा और यही चाहा कि समस्त भारत इसी तरह विकास की ओर अग्रसर होगा, पर समय कि विडम्बना देखो बीजेपी ने यह सब भुला दिया और ओड़ ली सम्प्रदाईकता की चादर. मैने इन्ही बातों तो भांप कर अपना यह ब्लॉग लिखा था: http://zafarkikhabar.blogspot.in/2015/10/blog-post_18.html वोह तो नितीश+लालू को बहुमत आ गया है नहीं तो इस ब्लॉग में लिखी आखरी लाइन भी चरितार्थ हो जाती. यहाँ यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि अगर शत्रुघ्न सिन्हा को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में आगे किया गया होता तो आज बीजेपी बिहार में इतनी बुरी स्थिती का सामना नहीं करना पड़ता. अगर आप मेरा यह ब्लॉग पढेगे तो ज़रूर सोंचेगे कि यह भी अध्बुध था: http://zafarkikhabar.blogspot.in/2015/09/blog-post_14.html इसके फेल होने के बाद भी, बीजेपी और नमो कि आँख नहीं खुली - जिसका परिणाम आज आप लोगों के सामने है. यह बात भी सच है कि नमो के द्वारा अमित शाह को बीजेपी का राष्ट्रिय अध्यक्ष ब

लो अब लौटने कि बारी पूर्व सैनिकों की

वन रैंक, वन पेंशन पर पूर्व सैनिक लौटाएंगे अपना मेडल क्यों कि उनकी सुनी नहीं जा रही. देश भर में दस नवंबर २०१५ को डिप्टी कमिश्नर को ये अपना मेडल वापस कर देंगे। अगर डिप्टी कमिश्नर मेडल लेने नहीं आए तो सब मेडल उनकी जगह पर छोड़कर वापस आ जाएंगे। साथ ही ११ नवम्बर को यह सब पूर्व सैनिक दीपावली के इस त्यौहार को काले दिवस के रूप में मनाएंगे.. वो भे बिना दीया जलाये..                                    (C) ज़फ़र कि ख़बर 

छोटा राजन हिन्दू शेर - साध्वी प्राची

बीजेपी नेताओं  द्वारा बला बला - करना - अब तो यह एक सोंची समझी साजिश प्रतीत होती है, वरना ऐसा कोई एक बार या दो बार ही भूल से कहा जा सकता है, न कि बार बार.   हाँ, न्यूज़ में बने रहने का यह फार्मूला बढ़िया है... पार्टी का किसको ख्याल है... बला बला बला....                                         (c) ज़फ़र कि ख़बर  

बिहार चुनाव और इ. वी ऍम. मशीने

कही न कही सभों के मन में यह चल रहा होगा कि कल क्या होगा बिहार चुनाव का परिणाम. इसी सोंच को और भी पुख्ता करता है इससे सम्बंधित दिया गया एग्जिट पोल, जिसे विभिन संस्थाओं ने अपने अपने माध्यम से पेश किया है, जिस पर सभों कि पैनी नज़र है. इन सब कयासों के साथ साथ एक बात और है कि अगर इ. वी ऍम. मशीनों में किसी भी प्रकार की छेदछाड़ कि गए होगी तो क्या होगा? अरे! इसमे सोचने कि क्या बात है इससे सिर्फ और सिर्फ बीजेपी को ही फायदा होगा. क्योंकि चलता तो सब केंद्र से ही है ना. आगे भगवान् मालिक है. पर एक बात है नब्ज़ तो सभी के तेज़ तेज़ चल रही है. आप मेरे अनुमान पर भी अपनी नज़र रखे, सब को पता है कि जनता जनार्दन जो अपनी राय दे रही है – वो ही सर्वोपरि है. बाकी खेल में वोही होता है जो सोंच समझ कर खेला जाता है.                   (C) ज़फ़र कि ख़बर  

बला बला से कुछ नहीं मिलना

विपक्ष चाहे कितना भी मुद्दा उठा ले, पर सबको यह पता है कि यह सरकार चलेगी तो पूरे 05 साल... फिर यह वाद विवाद क्यों... विपक्ष वालों इस सरकार को कुछ कर लेने दो.. क्यों लगे हो हम आम जनता का पैसा बर्बाद करने में. जब से यह सरकार आई है - बताओ कुछ कर के दिया है इसने? उस पर सोने पे सुहागा है विपक्ष - दोनों मिल कर गर्त में ले जा रहे है देश को... सदन चला नहीं, भूमि का मुद्दा अनसुलझा है अब तक... और अब यह नया मुद्दा असहिष्णुता.. किसी को कुछ नहीं मिलने वाला इन् बातों से. कोई बोलने से नहीं चूक रहा.. सब बला बला कर रहे है.. जो अहम्म मुद्दा है खो सा गया है कब संभालेंगे हम खुद को जिससे देश संभल पाए... सामने वाले कि गलती सब को दिखती है, कब लोग अपनी कमियां खुद दूर करेंगे.  दूसरों पर कीचड उछालना आसान है... सरकार को कुछ कर लेने दो - कुछ तो विकास हो, धरातल पर कुछ तो दिखे... अगर यही हाल रहा तो वोह दिन दूर नहीं जब सब तरफ हहाकार ही हहाकार होगा.                         (c) ज़फ़र कि ख़बर 

गोद लिया गाँव भी न बचा पाए, नमो...

नमो के गोद लिये गाँव में भी भाजपा को नकार दिया गया.. इन्ही बातों को भाँप कर ही लिखा था, मैने अपना यह ब्लॉग: http://zafarkikhabar.blogspot.in/2015/10/blog-post_6.html और सच कहता हूँ, यह भी गौर करने वाला है: http://zafarkikhabar.blogspot.in/2015/09/blog-post_9.html बाकी आप लोग खुद देख लेना - आगे.                             (c) ज़फ़र की ख़बर  

पंद्रह लाख लोगों की टी०बी० से हुई मौत, पिछले वर्ष

देश में टी०बी० के मरीज़ की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लू० एच्० ओ०) के अनुसार   भारत में पिछले साल तदेपिक यानी टी०बी० के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। डब्लू० एच्० ओ० की एक रिपोर्ट यह बताती है कि सन् 2014 में देश में इस बीमारी से 15,00,000 लोगों की मौत हुई है। जिनमें 1 ، 40,000 बच्चे शामिल थे।  विश्व स्वास्थ्य संगठन की जारी हुई “ वैश्विक तदेपिक रिपोर्ट 2015 ” के मुताबिक , 2014 में टी०बी० के 96 लाख नए मामले दर्ज किए गए , जिनमें से 58 फीसदी मामले दक्षिण-पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र से थे। वैश्विक स्तर पर 2014 में कुल सामने आए मामलों में , भारत , इंडोनेशिया और चीन में टी०बी० के सबसे ज्यादा मामले सामने आए जो कि क्रमश: 23 प्रतिशत , 10 प्रतिशत और 10 प्रतिशत हैं। पिछले साल नाइजीरिया , पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी टी०बी० के मामलों की संख्या ज्यादा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें अधिकतर मौतों को रोका जा सकता था।  दुनिया में जानलेवा बीमारियों में एच्० आई० वी० के साथ इस रोग का भी नंबर आता है। भारत और नाइजीरिया में

राष्ट्रीय अवार्ड और लोगों की बातें

इस देश में अवार्ड (National Awards) चाहे किसी को भी, कभी भी मिला हो, उसके पीछे राजनैतिक जुड़ाव और चापलूसी का बोलबाला सदा ही रहा है,  वरना यहाँ न जाने कितने ऐसे लोग पड़े है जिनकी सारी उम्र निकल गई और एक धेला तक हाथ न लगा, अवार्ड तो दूर की बात है. पता है आप सभी, मेरी इस बात से सहमत होंगे, फिर भी पता नहीं क्यों, इन सब बातों को जानने के बावजूद, हम सब तरह-तरह की बातें करके अपना समय खराब करते है - सच्चाई जो है वह चाह कर भी नहीं बदली जा सकती. जिसकी सरकार होती है, उसी का वर्चस्व होता है, सदा ही और एक जो सरकार में है, दूसरों को बुरा कहता है. सब जानते है, आम ज़िन्दगी की कभी भी दूर दूर तक राजनीती से करीबी नहीं रही, फिर भी क्यों समय खराब करते है हम सब. सच्चाई तो यह है कि बस वोट के समय ही हमारी पूछ होती है - फिर वो राजा और हम सदा की तरह भिखारी. समझो और संभलो भाइयों.                   (c) ज़फ़र की ख़बर  

चाय चाय से गाय गाय तक...

कथनी और करनी में अगर अंतर आ जाये तो समय कैसे बदलता है, यह हम सब बिहार चुनाव में साफ़ देख सकते है, जो चाय चाय करते आये थे अब गाय गाय करते हुए जाने की त्यारी में है. कोई तो उन्हे बताये कि अब हम समझदार हो गये हैं. संभल जाएँ. अब सब देखना, इस चुनाव प्रचार में जिसको बुरा कहा जा रहा हैं, ये सरकार उसी के साथ बनायेंगे.                                         (c) ज़फर की खबर  

बिहार में बिहारी या बाहरी...

बिहार चुनाव में "बिहारी या बाहरी" वाला नारा काम कर गया, जिसका असर बीजेपी के अगले सभी कार्येकर्मो पर साफ़ दिख रहा है. नमो की अगली ०६ रैलियां निरस्त कर दी गई है. बाहरी सब बाहर कर दिए गए हैं. आप को क्या लगता है - क्या समीकरण बनेगा.. मेरा मानना है की बिहार में भी जम्मू कश्मीर जैसी सरकार का पदार्पण होगा "नितीश और भाजपा" चौकिये मत - इंतज़ार कीजिए.                (c) ज़फ़र की ख़बर  

दादरी - घटना तो दुखद है पर....

दादरी पर नमो द्वारा दिया गया बयान कि "मैं इस घटना से आहत हूँ" और कोई कार्येवाही न करना, यह दर्शाता है कि चाह कर भी बीजेपी अपने नेताओं बचाना चाहती और इस घटना हेतु सीधे सीधे विपक्ष को दोषी ठहराया जाना न कि राज्य सरकार को, इस बात को और भी पुख्ता करता है कि बीजेपी जान कर ऐसी बातों को नज़रअंदाज़ कर रही है. जबकि ११ आरोपियों मे ०८ आरोपी तो बीजेपी के ही सदस्य है. उनमे से एक मुख्य आरोपी तो बीजेपी के नेता का ही बेटा है. बीजेपी कोई कदम उठाना नहीं चाहती और राज्य सरकार कुछ करेगी नहीं क्योंकि समाजवादी पार्टी और बीजेपी को अगला चुनाव २०१७ में साथ साथ जो लड़ना है. आप लोग खुद ही देखे और अंदाज़ा लगायें कि क्या ऊपर का घटनाकर्म मेरी कही बातों की ओर इशारा नहीं करता. जनता समझदार है समझ जाएगी - पर धीरे धीरे...                       (c) ज़फ़र की ख़बर  

उत्तर प्रदेश चुनाव २०१७

कुछ तारो ताज़ी हलचल, सुनगुन और हालात पर नज़र डालने के बाद आज मैं इस मुक़ाम पर पंहुचा हूँ की अगला चुनाव उत्तर प्रदेश के इतिहास में कुछ नया ही मोड़ लाने वाला है. सुन कर आप को भी यकीन नहीं आएगा पर क्या करूँ सच तो सच ही है और मुझे सच कहने की आदत जो है तो कहूँगा ही. आगामी २०१७ के चुनाव में प्रदेश के सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी "समाजवादी पार्टी" इस बार चुनाव "भारतीय जनता पार्टी" के साथ लड़ेगी. अभी यह सुन कर कुछ अटपटा सा लगेगा, पर यही सच्चाई है. इस पर अभी बहुत कुछ होना बाकी है... आगे आगे देखिये होता है क्या... सच कहता हूँ - सारे समीकरण बदल जायेंगे. और यह अपना काम कर जायेंगे. क्योंकि दोनों पार्टी का एक ही मुद्दा है सिर्फ और सिर्फ सरकार में बने रहना...                                                         (c) ज़फ़र की ख़बर 

चुप रहना ज़रूरत है - न कि मज़बूरी

नमो को अब समझ आ रहा है कि मनमोहन चुप क्यों रहते थे.... जागो भाइयों जागो.... मुझे तो बस उस वक़्त का इंतज़ार है कि यह बातें हम (जनता) को कब समझ आएगी... जब न तो इनके बोलने - न ही चुप रहने का हम पर कोइ असर होगा... काश! वोह दिन जल्दी आए...                                             (c) ज़फ़र की ख़बर

नमो का टूटता तिलिस्म

नमो आप क्यों चुप लगाये बैठे हो, मुझे अब आपका तिलिस्म टूटता नज़र आ रहा है... आपकी इस चुप्पी से आपके अपने ही बकर, बकर कर के आपकी बची खुची साख को भी मिट्टी में मिलने मे लगे है. सच कहू, बर्बाद कर दिया वो सब, जो भी आप को मिला था देशवासिओं से - प्रेम, सम्मान आदि आदि... क्योंकि अब बची खुची उम्मीद टूट गई सब की, जो थी आप से.  मह्गाई तो आसमान छु ही रही है और आप जनता से सब्सिडी छोड़ने की बात करते हो, अफ़सोस होता है यह सोंच कर कि यही बात आप अपने मंत्रियों से क्यों नहीं कहते एवं सभी सरकारी कैंटीन को पहले सब्सिडी मुक्त क्यों नहीं करते. देश का बजट, जो सेना को देने के बाद बचता है, उसका ज्यादा हिस्सा सरकारी तंत्र को चलाने मे ही खर्च हो जाता है, जबकि यह खर्च कम भी किया जा सकता है. रही देश चलाने की बात, कोई नहीं चला रहा देश को, वह तो ऑटो मोड मे है, यह खुद चल रहा है. आप तो बस पार्टी के कामों मे ही लगे हो, अगर धरातल पर काम किया होता तो पार्टी की तो यूँ ही बल्ले बल्ले होती. झूट का सहारा नहीं लेना पड़ता, जो अब लेना पड़ रहा है. जनता त्राहि त्राहि कर रही है, जनता को सुनने वाला कोई है ही नहीं. कहाँ अलग हो

बाबरी के बाद अब दादरी, कब समझेगे हम

हाँथी के दांत खाने के और, दिखाने के और - यह कहावत यहाँ चरितार्थ होती है: यह है कुछ चुनी हुई मीट निर्यात कंपनिया और उसके मालिकों के नाम, जो विदेशों में मीट निर्यात करते है: १. अतुल सभरवाल - अरेबियन एक्सपोर्ट के मालिक २. महेश जगदाले - अल नूर एक्सपोर्ट के मालिक ३. अजय सूद - अल कबीर एक्सपोर्ट्स के मालिक और तो और ४. आल इंडिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव भी डीबी सभरवाल हैं. (उपरोक्त कंपनियों और उसके मालिकों के नाम की जानकारी मुझे एक दोस्त की फेसबुक पोस्ट से प्राप्त हुई) क्या आप मे से किसी ने यह सुना है की कभी मुसलमानों ने गोकशी पर पाबन्दी को हटाने की बात की है. मैं यहाँ यह कहना चाहता हूं की मौजूदा सरकार मीट निर्यात को बंद ही क्यों नहीं कर देती. न रहेगा बांस न बजेगी बासुरी.... अरे हाँ! अगर ऐसे हो गया तो फिर यह रोटियां कहा सिकेगी जो इनको राजनीतिक फ़ायदा देती है. क्योंकि इनको आम जनता की फिक्र है ही कहाँ? हम जनता को लड़ा कर सदा ही अपना उल्लू सीधा किया है इन्होने. हम बेवक़ूफ़ है और सदा ही रहेगे. मुझे पता है अब भी हम और आप नहीं समझ पायेंगे - सच्चाई. जबकि सबको सब प

बिहार चुनाव:

बिहार - इलेक्शन फार्मूला : दलित (मांझी) - मुस्लमान (ओवैसी) जब दोनों मिल कर वोट कटेगें, तभी तो बीजेपी जीतेगी... बीजेपी द्वारा बिहार के अगले मुख्यमंत्री पर, पार्टी में अभी मंथन जारी है ... आगे आगे देखो, होता है क्या-क्या...                                                         (c) ज़फ़र कि ख़बर 

बिहार चुनाव:

लो जी लो उलटी गिनती शरू… नमो और बीजेपी के लिए चिंता/चिंतन का विषय… वहां के हालात कुछ दिल्ली जैसे ही नज़र आ रहे हैं… चुनाव  के  इस  माहौल में, सब यही कह रहे है: किया क्या है बीजेपी ने – सत्ता मे आने के बाद,  … (c) ज़फ़र की ख़बर

Ram Mandir Nirman reg.

Fact Finding in reference to the political posts on social media these days, concerning Ayodhya - Ram Mandir Nirman : Most of the people dosn't know that there in no evidence which convince the court for the final verdict in reference of the construction of said mandir at the claimed place and without the court verdict, nothing is possible.   Please understand the fact that it is just a political agenda now, to gain vote every time by spreading emotional statements in public, in the name of Hindutava.                                                                      (c) ज़फ़र की ख़बर 

सच्चाई से मुहं क्यों मोड़ना...

बहस कोई भी चल रही हो - सिक्के के दोनों पहलु को देखना चाहिए.. मेरी नज़र में औरंगजेब और अशोक दोनों मे कोई फर्क नहीं है... जहाँ औरंगजेब ने लाखों ग़ैर मुस्लिम इंसान से तलवार के नोक पर इस्लाम कबूल करवाया, वही अशोक ने लाखों इंसानों को बिना किसी गुनाह के मरवा दिया.. सोंचो क्या फर्क है दोनों में - कोई फर्क नहीं क्युकि मरा तो इंसान ही दोनों दौर मे. इतिहास के पन्नों पर हमने तो यह पाया कि अशोक ज्यादा पापी है क्युकि उसने जान ली सबकी पर औरेंग्ज़ेब ने सब की जान नहीं ली, उसने धर्म परिवर्तन करवाया, जो सब करवाते है. क्या आज के दौर मे "घर वापसी" का आह्वान नहीं हो रहा या अनेको धर्म प्रचारको द्वारा अनेक प्रकार के लालच देकर देश के अलग अलग जगह पर लोगों का धर्म परिवर्तन नहीं करवाया जा रहा. जागो दोस्तों - सच्चाई से मुह मत मोड़ो - इतिहास के पन्नो को पढो - फिर राए बनाओ, न की पॉलिटिक्स की नज़र से. आदीकाल से जो भी हमारे देश का इतिहास रहा है - सजो कर रखो - क्योंकि जिस भी देश ने अपने इतिहास को नहीं सजोया - उनपर किसी न किसी दूसरों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है. समय इसका गवाह है. संवारो खुद को और अपनी आने वाली

ज़फ़र कहिन...

मेरा सोचना ऐसा लगता है , आप लोगों के सोच से ज़रूर मेल खायेगा... सवाल है? आज का दौर और इस दौर में पत्रकारिता का बदलता चेहरा...  जो सब कुछ जनता है... समझता है... पर इस सब के बावजूद सच्चाई न बता कर ऐसी चीज़े परोस्ता है, जिसका सरोकार न तो समाज को और न आने वाली नई पीढ़ी को भविष्य और भूतकाल के बारे सच्चाई से अवगत करना है.   जिसका जो मन करता है अपना नजरिया दर्शाता है, जिससे सिर्फ और सिर्फ अपना फायदा हो सके. आज के इस बदगुमान दौर में कम से कम किसी एक ऐसे पत्रकार या समाचार देने वाले की ज़रुरत है जो कम से कम आज कल की नयी और आने वाली पीढ़ी को सच बता सके और उनका मार्गदर्शन कर सके, जिससे इनका भटकाव ख़त्म न सही - कम तो हो.   मेरा मनना है कि जिस भी देश ने अपने इतिहास को तथा भूतकाल को भुला दिया वो आने वाले समय में बहुत जल्द अपना अस्तित्व खो देता है और स्वार्थी लोग जिसमें नेता , पूंजीपति आदि आते है , अपने स्वार्थ के चलते देश , समाज , परिवार आदि सब की बलि चढ़ा देते हैं. इन सब बातों को बहुत ही गंभीरता से सोचने और समझने के बाद मैंने ये प्रण लिया है कि नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए - सच को सच ही रहना